सोलर ऊर्जा या ग्रीन एनर्जी, बिजली पैदा करने का एक अतिरिक्त् स्त्रोत जो न केवल टिकाऊ है बल्कि बिजली बिलों के मुकाबले काफी सस्ता भी है. इसमें बिजली गुल होने का झंझट भी नहीं है. बेहद कम खर्च में सोलर से अपने घर को रोशन किया जा सकता है. सोलर के क्षेत्र में भारत ने पिछले कुछ सालों से काफी तरक्की की है. यही वजह है कि आज भारत न केवल सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों की जमात में शुमार हो गया है, साथ ही साथ देश की कई कंपनियों अमेरिका, चीन, मलेशिया सहित कई देशों में अपने प्रोडक्ट की सप्लाई कर रही हैं.
किसानों को सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के प्रति जागरूक करने के मकसद से कुसुम योजना की भी शुरुआत की गई है. इस दिशा में अग्रिम पहल करते हुए रेलवे ने इंटरसिटी ट्रेनों के जनरल कोचों के रुफटॉप पर सोलर पैनल प्रदान करने का फैसला लिया है.
लगातार बढ़ रही बिजली की दरें और सोलर पीवी पैनल्स की दरों में आ रही कमीं के साथ-साथ सरकार की नीतिगत पॉलिसी के चलते सोलर पीवी सिस्टम खरीदना उपभोक्ताओं के लिए बेहद आसान हो गया है. इसके चलते बड़े स्तर पर लोग सौर ऊर्जा के इस्तेमाल करने के लिए आगे आए हैं. अब ग्रामीण इलाकों में ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी सोलर लाइट का इस्तेमाल प्रमुखता से किया जा रहा है. कई स्कूल, व्यावसायिक बिल्डिंग्स और रिहायशी इमारतों के ऊपर सोलर पैनल का इस्तेमाल किया जा रहा है. सोलर पावर के इस्तेमाल से ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर समस्या से निजात मिल सकेगी और पर्यावरण को बचाया जा सकेगा.
हमारे इस खास लेख में भारत की बेस्ट 10 सोलर कंपनियों के बारे में बता रहे हैं, जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस लेटेस्ट सोलर पैनलों का निर्माण कर अपने ग्राहकों के लिए उपलब्ध करवाती है. इससे पहले सोलर ऊर्जा, इसके प्रकार, इस्तेमाल और अन्य जानकारियों पर भी डालेंगे एक नजर…
सोलर सिस्टम क्या है
(What is Solar System)
सोलर बिजली उत्पन्न करने का वैकल्पिक स्त्रोत है. सूर्य की रोशनी/धूप के माध्यम से बिजली उत्पन्न करने की प्रक्रिया को सोलर ऊर्जा/सोलर सिस्टम कहा जाता हैं. यह ऊर्जा का सबसे उपयुक्त स्त्रोत माना जाता है क्योंकि प्रदूषण मुक्त ऊर्जा पैदा करता है तथा प्रदूषण नियंत्रण में सहायक सिद्ध होता है। इसमें किसी प्रकार के ईंधन या पेट्रोल या डीज़ल की आवश्यकता नही रहती है और न बिजली का उपयोग होता है, क्योंकि यह सूर्य की रोशनी से काम करता है.
सामान्यतः एक सोलर सिस्टम में सोलर पैनल होते हैं, इनवर्टर होता है, सोलर पैनल को कसने के लिए ढांचा होता है, बैटरी होती है और सभी चीजों को आपस में जोड़ने के लिए तार होते हैं. बाजार में सोलर सिस्टम अलग-अलग कैपेसिटी में उपलब्ध है जैसे 1 किलोवाट, 2 किलोवाट, 3 किलोवाट, 5 किलोवाट इत्यादि. इस्तेमाल के मुताबिक इनमें से कोई भी चुना जा सकता है. 1 किलोवाट सौर ऊर्जा के लिए लगभग 10 वर्ग मीटर जगह की जरूरत होगी.
सोलर सिस्टम का लाभ
(Profit of Solar System)
सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा ये है कि सोलर सिस्टम लगाने के बाद हर महीने आने वाले बिजली के बिल से छुटकारा पा सकते हैं. यहां वन टाइम इन्वेस्टमेंट सिस्टम है. एक बार सोलर सिस्टम फिट कराने के बाद लंबे समय तक अतिरिक्त खर्चे का झंझट खत्म हो सकता है. बैटरी में कुछ महिनों के अंतराल में पानी की जरुरत पड़ती है लेकिन उसका खर्चा मामूली है.
दूसरा फायदा ये है कि ये प्रदूषण फैलाये बिना हमें ऊर्जा या ऊष्मा उपलब्ध करवाते हैं. इनमे बिजली निर्माण के दौरान न कोई विषैली गैस विसर्जित होती है और न ये वायु को प्रदूषित करती है. इनमें ऊर्जा निर्माण के दौरान कोई तीव्र ध्वनि भी उत्पन्न नहीं होती. सोलर पैनल कोई विकिरण प्रभाव भी नही डालते हैं. कुल मिलाकर ये बिजली उत्पन्न करने का सरल और सुरक्षित तरीका है.
कृषि क्षेत्र में सोलर पैनल का इस्तेमाल खासतौर पर होने लगा है. ग्रामीण क्षेत्रों में बिना किसी बिजली कनेक्शन के प्राकृतिक रूप से बिजली उपलब्ध हो जाती है, जो खेतों में कृषि उपकरणों को चलाने में सहायता करती है.
आजकल शहरी क्षेत्रों में भी सोलर सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. घरों में भी छतों पर सोलर पैनल लगाये जाने लगे हैं. सर्दियों के मौसम में गर्म पानी करने और घर के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चलाने के लिए सौर ऊर्जा का प्रयोग करके खर्चे में भी कमी की जा सकती है. आर्थिक रूप से भी इनका मूल्य उचित होने पर फायदेमंद रहते हैं. इनकी देखरेख में कोई किसी तरह की खास मेहनत की आवश्यकता नहीं होती है.
सोलर पैनल के प्रकार
(Type of Solar Panel)
सोलर सिस्टम का सबसे मुख्य भाग सोलर पैनल होता है. सूर्य से आने वाली किरणें जब सोलर पैनल पर पड़ती है तो ये पैनल धूप को विशिष्ट धारा में परिवर्तित करते हैं. मौजूद समय में भारत में 2 तरह के सोलर पैनल उपलब्ध है – पॉलीक्रिस्टलाइन (Polycrystalline) और मोनोक्रिस्टलाइन (Monocrystalline).
पॉलीक्रिस्टलाइन
इस तरह के सोलर पैनल पुरानी तकनीक से बने होते हैं. इनके निर्माण में सिलिकॉन के एकल क्रिस्टल का प्रयोग न करके अलग-अलग क्रिस्टल का प्रयोग किया जाता है. इस तरह के पैनल की सबसे बड़ी समस्या ये है कि बारिश या बादल होने जैसे परिस्थितियों में ये पैनल ठीक ढंग से काम नहीं कर पाते. धूल मिट्टी भी इन पैनल्स पर ज्यादा जमती है जिससे कार्यशैली में रुकावट आती है. ये पैनल मोनोक्रिस्टलाइन की तुलना में सस्ते होते हैं लेकिन साधारण इस्तेमाल या घरों की छतों के लिए इस तरह के पैनल उपयोगी हैं.
मोनोक्रिस्टलाइन
ये एक अत्याधुनिक तकनीक है और अधिकांश सोलर कंपनियां इस तकनीक पर आधारित पैनल्स का निर्माण करती हैं. ये पैनल आधुनिक और उच्च गुणवत्ता वाली तकनीक पर बने होते हैं और सामान्य सोलर पैनल की तुलना में ज्यादा सही तरीके से काम करते हैं. इनके निर्माण में एकल सिलिकॉन क्रिस्टल का प्रयोग किया जाता है जिससे ये सूर्य की हल्की रोशनी से भी ऊर्जा प्राप्त कर के हमे विद्युत प्रदान करते हैं. यह पैनल बारिश के मौसम और बादल होने पर भी बिना रुकावट के बिजली उत्पन्न करते है. अपनी इसी विशेषता के चलते ये महंगे भी होते है. भारी स्तर पर सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए इस तरह के सौर पैनल का इस्तेमाल सही रहता है.
सोलर पैनल कैसे काम करता है
(How to work a solar panel)
सूर्य से निकलने वाली रोशनी में जो ऊर्जा के कण पाये जाते हैं, उन कणों को ‘फोटॉन’ कहा जाता है. फोटॉन को ऊष्मा प्राप्त करने को ही ‘सौर ऊर्जा’ कहते हैं.सूर्य से प्रत्यक्ष रूप में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ‘सोलर पैनल’ का इस्तेमाल किया जाता है. सौर पैनल में आपस में सेल जुड़े हुए होते हैं जिन्हें ‘फोटोवोल्टिक सेल’ कहते हैं. ये सौर सेल ‘सिलिकॉन’ की परतों से बने हुए होते हैं.
जब सूर्य की रोशनी इन सेल पर पड़ती है तो सेल द्वारा फोटॉन की ऊर्जा अवशोषित की जाती है और ऊपरी परत में पाये जाने वाले इलेक्ट्रॉन सक्रिय हो जाते हैं. तब इनमें बनने वाली ऊर्जा का प्रवाह होना आरम्भ होता है. धीरे-धीरे ये ऊर्जा बहती हुई सारे पैनल में फैल जाती है. इस प्रकार से सोलर पैनल ऊर्जा यानि बिजली का निर्माण करते हैं.
इनवर्टर सोलर पैनल के बाद दूसरा मुख्य भाग है जो सोलर पैनल के द्वारा उत्पन्न हुई बिजली को प्रत्यावर्ती धारा या एसी करंट में परिवर्तित करता है. सामान्तः सोलर इनवर्टर की कीमत पूरे सोलर सिस्टम की लगभग 25% होती है.
सोलर पैनल से उत्पन्न हुई बिजली को संग्रहित करने के लिए बैटरी का प्रयोग किया जाता है. चूंकि रात के समय सोलर पैनल को धूप ना मिलने के कारण सोलर पैनल काम करना बंद कर देते हैं, ऐसे में बिजली के लिए बैटरी की जरूरत होती है.
इंडिया में सोलर सिस्टम की कीमतें और सब्सिडी
सोलर प्लांट या सोलर सिस्टम लगवाने का खर्चा एक बार होता है लेकिन ये खर्च आपके तीन या चार साल में चुकाए जाने वाले बिजली के बराबर हो जाता है. एक किलोवाट रूफटॉप सोलर पैनल लगाने पर करीब 1 लाख रुपए और दो किलोवाट पर करीब 1.35 लाख रुपये का खर्च आता है. इसमें पैनल, इन्वर्टर, बैटरी और इनस्टॉलेशन खर्चा शामिल है. 3 कि.वा. तक के सोलर प्लांट पर 40 प्रतिशत और 10 कि.वा. तक 20 प्रतिशत की सब्सिडी भारत सरकार द्वारा मिलेगी. इससे ज्यादा किलोवाट पर 10 प्रतिशत सब्सिडी केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही है.
ऐसे में एक किलोवाट का रुफटॉप सोलर प्लांट लगाने का खर्चा सब्सिडी हटाने पर करीब 65 से 75 हजार रुपये तक आता है. 1kW ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम मुख्य तौर पर घरों के लिए होताहै जहां पानी की मोटर और एयर कंडीशनर को छोड़कर पंखा, कूलर, टीवी, फ्रिज, लाइट्स, कम्प्यूटर, लैपटॉप, वाशिंग मशीन, इत्यादि लगभग 3-4 घंटे तक चल सकता है. यूपी, एमपी सहित कुछ राज्यों में स्थानीय सरकारें अलग से सोलर प्लांट पर सब्सिडी की पेशकश करती हैं. ऐसे में सोलर प्लांट की कीमत और कम हो सकती हैं.
सोलर पैनलों की उम्र करीब 25 साल होती है. सोलर पैनल में मेटनेंस खर्च नहीं आता, लेकिन हर 10 साल में एक बार बैटरी बदलनी होती है. इसका खर्च करीब 20 हजार रुपए तक होता है जो बैटरी की क्वालिटी पर निर्भर करता है. सोलर प्लांट से बनने वाली अतिरिक्त बिजली को आप बेच भी सकते हैं.
भारत की टॉप 10 सोलर कंपनियां
(Top 10 Solar Company in India)
अडानी सोलर (Adani Solar)
अडानी सोलर देश की सबसे बड़ी सोलर पैनल निर्माता कंपनी है. ये अडानी समूह की ईपीसी शाखा है. अडानी सोलर भारत की पहली और सबसे बड़ी सौर कंपनी है जो फोटोवोल्टिक निर्माण (PV) के स्पेक्ट्रम के साथ सेवाओं के साथ उत्पादों की पेशकश करती है. कंपनी के देशभर में 250 मेगावाट से अधिक की परियोजनाएं चल रही हैं जिनसे 400 मेगावाट से अधिक की सौर ऊर्जा उत्पन्न होती है. कंपनी का गुजरात में 1.2 गीगावॉट की क्षमता के साथ भारत का सबसे बड़ा सौर पीवी सेल और मॉड्यूल है.अडानी सोलर देश में कृषि और उससे जुड़े उद्योगों के लिए अत्याधुनिक तकनीक, मशीनों और उपकरणों की आपूर्ति कर रहा है. कंपनी का उद्देश्य वैश्विक बेंचमार्क के अनुसार लागत नेतृत्व, संचालन के पैमाने और विश्वसनीयता मानकों में मदद करना है. अडानी सोलर अब 3.5 GW वार्षिक उत्पादन क्षमता का विस्तार कर रही है, जो इसे विश्व की शीर्ष 15 सौर निर्माताओं में जगह देती है. कंपनी का हेडक्वाटर गुजरात में है.
विक्रम सोलर लिमिटेड (Vikram Solar)
यह देश की दूसरी सबसे बड़ी सोलर निर्माता और सप्लायर कंपनी है. ज्ञानेश चौधरी द्वारा स्थापित यह कंपनी विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रमुख सौर ऊर्जा प्रदाता कंपनी है जो सबसे बढ़िया क्वालिटी के पीवी मॉड्यूल निर्माण और व्यापक ईपीसी की सप्लायी करती है. देश में सौर क्रांति को आकार देने में विक्रम सोलर लि. का सक्रिय योगदानकर्ता रहा है.
विक्रम सोलर, विक्रम ग्रुप ऑफ कंपनीज का एक हिस्सा है, जिसके पास इंजीनियरिंग और मैन्यूफैक्चरिंग में करीब 4 दशकों का अनुभव है. इस कंपनी ने पश्चिम बंगाल में अपना सबसे बड़ा सोलर प्लांट स्थापित किया है. इसके अलावा यह सोलर कंपनी राजस्थान और तमिलनाडु में कई सफल प्रोजेक्ट भी स्थापित कर चुकी है. विक्रम सोलर की रेटेड वार्षिक सोलर मोड्यूल उत्पादन क्षमता 1 गीगावॉट से अधिक अपग्रेड की गई है. विक्रम सोलर लिमिटेड देशभर में 1355 मेगावाट से अधिक सौर परियोजनाओं को स्थापित कर चुका है. विक्रम सोलर का हेडक्वाटर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में है. विक्रम सोलर कंपनी के ऑफिस भारत में ही नहीं बल्कि यूरोप और अफ्रीका समेत कई देशों में स्थित है.
वॉरी एनर्जी लि. (Waaree Energy Ltd)
वॉरी ग्रुप की वॉरी एनर्जी लि. भारत की सबसे बड़ी सोलर पीवी मॉड्यूल निर्माता कंपनियों में से एक है जिसकी क्षमता 2 GW है. कंपनी की सूरत में 1.5 गीगावॉट की सोलर पैनल मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट है. 1989 में स्थापित वॉरी एनर्जी लि. की राष्ट्रीय स्तर पर 350 से अधिक शहरों और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 68 देशों में उपस्थिति है. कंपनी ईपीसी सर्विसेज, प्रोजेक्ट डेवलपमेंट, रूफटॉप सॉल्यूशंस और सोलर वॉटर पंप आदि का भारी मात्रा में निर्माण और सप्लाई करती है.
कंपनी के पास ईपीसी सर्विसेज, प्रोजेक्ट डेवलवमेंट, रुफटॉप सोल्यूशंस और सोलर वॉटर पंप और एक स्वतंत्र विद्युत निर्माता के रूप में काफी अच्छा अनुभव है. सोलर पॉवर के अलावा, कंपनी औद्योगिक वल्ब और प्रक्रिया नियंत्रण उपकरण प्रदान करती है. भारत में स्थापित प्लांट में कंपनी के पास 2 गीगावॉट की सबसे बड़ी सौर पीवी मॉड्यूल निर्माण क्षमता है. कंपनी अपने सोलर उत्पादों की सप्लाई विदेशों में भी करती है.
RENEWSYS सोलर
सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में RenewSys इंडिया प्रा.लि. एक प्रमुख कंपनी बनकर उभरी है. ये ENPEE समूह की नई शाखा है जो प्रमुखता से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यरत है. कंपनी सोलर पीवी मॉड्यूल और इससे जुड़े उत्पाद जैसे बैक शीट, सोलर पीवी सेल और EVA-POE का निर्माण और सप्लाई करती है.
कंपनी के देश में दो प्लांट हैं. हैदराबाद में सौर पीवी मॉड्यूल 750 मेगावाट और सौर पीवी सेल 130 मेगावाट जबकि बेंगलुरू में ईवा और पीओई का 1.4 गीगावॉट व बैकशीट का 3 GW उत्पादन हो रहा है. RENEWSYS सोलर भारत सहित 40 देशों में सोलर और इससे जुड़े प्रोडक्ट का प्रमुख सप्लायर है. कंपनी की मॉरीशस, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, यूएई, चीन, यूरोप, अमेरिका और मैक्सिको में उपस्थिति है.
टाटा पावर सोलर (Tata Power Solar)
टाटा पावर सोलर भारत का सबसे विश्वसनीय और भरोसेमंद सोलर पैनल और सौर ऊर्जा से जुड़े प्रोडक्ट का निर्माता और सप्लायर है. कंपनी सोलर पॉवर के क्षेत्र में नए-नए प्रोडक्ट उपलब्ध करवाने में हमेशा ही अग्रणी रही है.
टाटा पॉवर सोलर सिस्टम लिमिटेड सोलर प्रोडक्ट का निर्माण करती है, साथ ही भारत की अग्रणी EPC प्लेयर होने के नाते अपने उपभोक्ताओं को EPC सर्विस भी उपलब्ध करवाती है. कंपनी बीते तीन दशकों से देश में रूफटॉप डोमेन में अग्रणी है.
टाटा कंपनी की औद्योगिक, वाणिज्यिक, ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सौर परियोजनाओं समेत आवासीय इकाईयों में भी मजबूत पकड़ है. पिछले 20 सालों में इस कंपनी ने दुनिया भर में करीब 1.4 गीगावॉट के सोलर मॉड्यूल उपलब्ध करवाएं हैं. भारत में 1.5 गीगावॉट के यूटीलिटी स्केल पर और 425 मेगावाट की रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट स्थापित किए हैं।
लूम सोलर (Loom Solar)
लूम सोलर प्रा.लि. भारत की पहली मोनो पैनल निर्माता कंपनी है. इसका हेडक्वाटर हरियाणा के फरीदबाद में है. लूम सोलर ने सोलर पॉवर क्षेत्र में बेहद कम समय में लेटेस्ट सोलर प्रोडक्ट उपलब्ध करवाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है. लूम सोलर मोनो पैनल बनाने वाली ऐसी पहली सोलर कंपनी है, जो कि 50 वाट से शुरु होकर 350 वाट तक उपलब्ध है. इस पैनल की खास बात यह है कि यह कम धूप और धुंधले मौसम में भी काम करता है. मोनो पैनल सुबह के 8 बजे से लेकर शाम के 5 बजे तक काम करता है, जबकि नॉर्मल पैनल सुबह के 9 बजे से लेकर शाम शाम के 3 बजे तक ही काम करता है. यह भारत का नंबर 1 मोनो पैनल निर्माता है.
लूम सोलर ने दुनिया का पहला IOT आधारित सोलर एसी मॉड्यूल पिछले साल लॉन्च किया है. 1,500 से अधिक विक्रेताओं के नेटवर्क जाल ने कंपनी की पकड़ को मजबूत किया है. कंपनी के प्लांट की विनिर्माण क्षमता 100 मेगावाट है. कुछ सालों पहले शुरु हुई कंपनी 10 वाट से 450 वाट सुपर उच्च दक्षता वाले पैनलों की विस्तृत श्रृंखला के चलते भारत में सबसे तेजी से बढ़ते सौर पैनल निर्माताओं और सप्लायर्स में से एक बन गई है.
लूम सोलर भारतीय बाजार में सौर ऊर्जा में उत्पादों की व्यापक रेंज लिए हुए है. छोटे से समय में लूम सोलर ने पैनल मार्केट में 20 फीसदी की उपस्थिति दर्ज कराई है. लूम सोलर ने संयुक्त राज्य अमेरिका में 11वें वार्षिक गोल्डन ब्रिज बिजनेस एंड इनोवेशन अवार्ड्स-2019 में प्रतिष्ठित स्वर्ण और रजत पुरस्कार जीत अपने उत्पादों और विश्वसनीयता का परचम लहराया है.
हेविल्स (HavellsSolar)
हेविल्स इंडिया लि. भारत सहित अंतराष्ट्रीय बाजार में भी अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ हरित ऊर्जा यानि सोलर एनर्जी के लिए प्रमुख तौर पर जानी और मानी जाती है. हेविल्स अपने उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और केबल वायर के साथ ही सोलर पैनल, सोलर इनवर्टर, सोलर लाइट, सोलर बैटरी भी उपलब्ध कराती है. हैवल्स सोलर पैनल 75 वाट से लेकर 325 वाट तक बाजार में उपलब्ध हैं. हैवल्स पैनल की सबसे खास बात यह है कि इसमें पॉजिटिव पॉवर सहने के क्षमता होती है और यह किसी भी तरह के मौसम में बेहतर प्रदर्शन करते हैं.
हेविल्स सोलर पोर्टल हर सोलर मॉड्यूल को ट्रैक करने में सक्षम है. जब सोलर सिस्टम के तहत एसी के पॉवर को बंद करते हैं, तो इसका डीसी वोल्टेज करीब 1 वाट प्रति ऑप्टिमाइजर के लिए गिरता है, जो कि आग लगने के खतरे को कम करने के लिए एक सेफ वोल्टेज है.
माइक्रोटेक सोलर (Microtek Solar)
माइक्रोटेक इंडटरनेशनल प्रा.लि. की स्थापना 1989 में हुई. पिछले तीन दशकों में कंपनी दुनिया के सबसे बड़े पावर प्रोडक्ट निर्माता के तौर पर उभरी है. माइक्रोटेक इनोवेटिव फोटो वोल्टाइक पर आधारित है. कंपनी के पावर सोलर पैनल 50 वाट से शुरु होकर 325 वाट तक बाजार में उपलब्ध है.
माइक्रोटेक सोलर पैनल 25 साल की वारंटी के साथ प्रीमियम क्वालिटी के इनपुट मटैरियल के साथ बनाए जाते हैं. माइक्रोटेक ने साल 2016 में सोलर पीवी पैनल को ऊर्जा के अंतिम स्त्रोत के रुप में लॉन्च किया था.
एक्साइड (Exide Solar)
एक्साइड भारत की सबसे भरोसमंद ब्रांड में से एक है. कंपनी मुख्य तौर पर बैटरीज़ का निर्माण करती है लेकिन सोलर पावर में भी एक्साइड ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. कंपनी एडवांस टेकनोलोजी और आधुनिक सुविधाओं वाले सोलर प्रोडक्ट अपने ग्राहकों को उपलब्ध करवाती है. कंपनी सोलर प्रोडक्ट बनाने में उन्नत तकनीक के साथ फोटवोल्टेक मॉड्यूल (PhotoVoltalc Module) का भी इस्तेमाल करती है.
इस कंपनी के सोलर पैनल खराब मौसम स्थितियों में भी काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं. एक्साइड सोलर पीवी मॉड्यूल्स 150wats/12V, सरकार MNRE द्वारा स्वीकृत है. ये सभी प्रोडक्ट 25 साल की वारंटी के साथ बाजार में उपलब्ध हैं. एक्साइड इंडिया सोलर बैटरीज, सोलर स्ट्रीट लाइट, सोलर पावर प्लांट, सोलर पैनल, सोलर पंप, सोलर होम लाइट, सोलर पावर सिस्टम समेत तमाम सोलर प्रोडक्ट का उत्पादन कर बाजार में उपलब्ध करवाती है.
पतंजली रेन्यूएबल एनर्जी प्रा.लि.
योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजली कई घरेलू उत्पादों के बल पर अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी बना चुकी है. अब हरित ऊर्जा को बढा़वा देने के उद्देश्य से पतंजली रेन्यूएबल एनर्जी प्रा.लि. (Patanjali Renewable Energy Pvt Ltd) की शुरुआत की गई और अब ये कंपनी टॉप सोलर कंपनियों में से एक है जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस उच्च क्षमता वाले सोलर पैनल का उत्पादन कर किफायती दरों में अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराती है.
पतंजली सोलर कंपनी की खासियत यह है कि यह कंपनी गुणवत्ता और दरों को ध्यान में रखते हुए सोलर प्रोडक्ट का निर्माण करती है, ताकि ग्राहकों को सही तरीके से इसका लाभ मिल सकें. पतंजली सोलर पैनल 25 साल की वारंटी के साथ बाजार में उपलब्ध है. पतंजली सोलर 10Wp से 340Wp तक के उच्च दक्षता वाले पोलीक्रिस्टलीन और मोनोक्रिस्टलीन सोलर पैनल अपने ग्राहकों को भारत में उपलब्ध कराती है. कंपनी अपने सोलर पैनल कई अन्य देशों में भी एक्सपोर्ट करती है.
अन्य कंपनियां (other solar company)
उक्त 10 टॉप कंपनियों के अलावा कनेडियन सोलर, ट्रीना सोलर और जिनको सोलर भी देश में सोलर पैनल और उससे जुड़े उपकरणों के निर्माता एवं सप्यालर्स हैं. प्रमुख पावर बैकअप निर्माता कंपनी ल्यूमिनस अधिकांश सोलर प्रोडक्ट निर्माताओं को अपनी बैटरी उपलब्ध कराता है.
कौनसा सोलर पैनल है सबसे अच्छा [कम्पेरिज़न]
मॉडल | अदानी सोलर | विक्रम सोलर | वॉरी एनर्जी | RENEWSYS | टाटा पावर |
प्रोजेक्ट | 400MW | 1355MW | – | 300MW | 315MW |
वार्षिक उत्पादन | 1.5GW | 1.2GW | 2GW | 1.4GW | 1.8GW |
प्रोडक्ट रेंज | EPC, Rooftop | EPC, Rooftop | EPC, Rooftop | EPC, Rooftop | EPC, Rooftop |
मॉड्यूल रेंज | 600+Wp | 10-505Wp | 400+wp | 300+Wp | 820.8Wp |
हेडक्वाटर | गुजरात | कोलकाता | मुंबई | मुंबई | मुंबई |
मॉडल | लूम सोलर | हेविल्स | माइक्रोटेक | एक्साइड | पतंजली |
प्रोजेक्ट | 300 MW | – | 200 MW | 200MW | 215MW |
वार्षिक उत्पादन | 1.2 GW | 1.2GW | 1.2GW | 1.2GW | – |
प्रोडक्ट रेंज | EPC, Rooftop | Rooftop | EPC, Rooftop | EPC, Rooftop | EPC, Rooftop |
मॉड्यूल रेंज | 50-350Wp | 75-325Wp | 50-325Wp | 3-250Wp | 850Wp |
हेडक्वाटर | फरीदाबाद | नोएडा | दिल्ली | कोलकाता | नोएडा |
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अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न
(FAQs)
प्रश्न. सोलर सिस्टम (Solar System) क्या है?
उत्तर. सोलर पैनल, इन्वर्टर, बैटरी और उसके साथ लगने वाले उपकरण (सोलर स्टैंड, वायर, कनेक्टर, AC/DC बॉक्स आदि) को मिलाते है और सूर्य की रोशनी से प्राकृतिक ऊर्जा यानि बिजली उत्पन्न होती है तो इस पूरी प्रक्रिया को सोलर सिस्टम कहते हैं.
प्रश्न. सोलर सिस्टम कितने प्रकार का होता है?
उत्तर. घरों स्कूल, हॉस्पिटल, दूकान, फैक्ट्री आदि की जरूरत के देखते हुए 3 प्रकार के सोलर सिस्टम बाजार में उपलब्ध है. ऑन ग्रिड, ऑफ ग्रिड और हाईब्रिड. जिन इलाकों में पावर कट नहीं होता, यहां बिजली के साथ चलने वाला सोलर सिस्टम लगाया जाता है. इसे ऑन ग्रिड या ग्रिड कनेक्टेड या ग्रिड टाई सोलर सिस्टम कहते हैं. सूर्य की रोशनी से चार्ज होने वाले बैटरी सिस्टम को ऑफ ग्रिड कहा जाता है. इसमें इन्वर्टर की जरुरत नहीं होती. चार्ज कंट्रोलर (PWM / MPPT Charge Controller) जरुरी होता है. वैसा सोलर सिस्टम जो बैटरी और ग्रिड दोनों के साथ चलता है, उसे हाईब्रिड सिस्टम कहते हैं. आजकल हाईब्रिड सिस्टम की डिमांड कम है.
प्रश्न. कौनसा सोलर सिस्टम बेस्ट है?
उत्तर. 1kW ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम खासतौर पर घरों के लिए डिजाइन किया गया है. पानी की मोटर और एसी छोड़कर घर के करीब-करीब सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगभग 3-4 घंटे तक चल सकते हैं. इसमें 375Watt के तीन 3 सोलर पैनल, 150Ah की 2 सोलर बैटरी, 1100VA का सोलर इन्वर्टर, 3 पैनल स्टैंड के साथ वाटर मिलता है. ये करीब 10 मीटर की जगह घेरता है. 1kW सोलर सिस्टम की कीमत 95 हजार से 1.25 लाख रुपये तक है जो बैटरी क्वालिटी और ब्रांड के हिसाब से है. सब्सिडी मिलने के बाद कीमत घट जाती है.
प्रश्न. 1kW सोलर सिस्टम क्या होता है?
उत्तर. सोलर पैनल की क्षमता को वाट (Watt) में मापते है. 1000 Watts = 1kW होता है.
प्रश्न. सोलर लाइट से बचत कैसे होगी?
उत्तर. उदाहरण के तौर पर आप अपनी छत पर दो किलोवाट का सोलर पैनल लगवाते हैं. अगर दिन में 10 घंटे तेज धूप निकलती है तो औसतन इससे 10 यूनिट प्रतिदिन बिजली उत्पादन होता है. इस हिसाब से 30 दिनों में 300 यूनिट बिजली उत्पन्न होती है. अगर आपको 8 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बिल चार्ज करना होता है तो 300 गुना 8 यानि 2400 रुपये की मासिक बचत है. अगर आपकी 100 या 200 यूनिट प्रति माह की खपत होती है तो आप शेष बची बिजली को बेच भी सकते हैं और उसका दाम प्राप्त कर अधिक बचत कर सकते हैं.
प्रश्न. क्या कश्मीर और हिमाचल जैसे इलाकों में भी सोलर काम करेगा?
उत्तर. बिलकुल. कश्मीर और हिमाचल या किसी भी ठंडे प्रदेश में भी सही तरह से कार्य करेगा क्योंकि सोलर से बिजली उत्पन्न करने के लिए धूप की आवश्यकता होती है. जहां तक सूरज की किरणों की पहुंच होगी, वहां पर बिजली को पैदा किया जा सकता है. हालांकि कश्मीर और हिमाचल जैसे ठंडे इलाकों में सोलर केवल आधे साल ही काम कर सकता है क्योंकि भारी बर्फबारी के चलते ये इलाके आधे साल बर्फ से ढके होते हैं. ऐसे में पैनल को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाएगी और यह बिजली उत्पन्न करने में असमर्थ हो जाएंगे.
प्रश्न. व्यावसायिक श्रेणी के लिए कितने वाट का सोलर सिस्टम लेना चाहिए?
उत्तर. 1 से 10 किलो वाट तक के सोलर पैनल आवासीय श्रेणी में आते हैं और सरकार द्वारा इन पर सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जाती है. 10 किलोवाट से ज्यादा के सोलर सिस्टम को व्यावसायिक श्रेणी में गिना जाता है. इन पर किसी प्रकार की सब्सिडी उपलब्ध नहीं होती है. कृषि कार्यों जैसे कुछ विशेष कारणों में 10 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाती है.
प्रश्न. एक किलोवाट सोलर सिस्टम की लागत क्या है?
उत्तर. ऑन-ग्रिड रूफटॉप सिस्टम की लागत करीब रु 55 से 65 हजार प्रति किलोवाट और ऑफ ग्रिड सिस्टम की लागत 80 से 90 हजार प्रति किलोवाट रुपये तक है. दोनों ही लागत ग्राहक की आवश्यकता, ब्रांड नेम और क्वालिटी पर निर्भर करती हैं.
प्रश्न. सोलर सिस्टम की कितनी वारंटी है?
उत्तर. सोलर पैनल आमतौर पर 25-वर्ष के प्रदर्शन वारंटी के साथ आते हैं. डीप-साइकिल लीड एसिड व सोलर बैटरी की लाइफ तीन से चार साल और लिथियम आयन एवं रेडॉक्स फ्लो बैटरी की वारंटी 10 की है. सामान्य तौर पर सोलर सिस्टम की बैटरी की लाइफ 10 साल होती है. इन्वर्टर पर कंपनी अलग अलग वारंटी देते हैं.
प्रश्न. सोलर सिस्टम में किस प्रकार के रखरखाव की आवश्यकता है?
उत्तर. सोलर पैनलों को आम तौर पर बहुत कम रखरखाव की आवश्यकता होती है. फिर भी दो तीन महीनों में एक बार पैनलों से मिट्टी या गंदगी हटा देनी चाहिए. सुरक्षा का ध्यान रखें, साथ ही साथ गर्म पैनलों पर ठंडे पानी छिड़ने से बचें. अच्छा यही है कि रात के समय पैनल की सफाई करें.
प्रश्न. सोलर पर सब्सिडी कैसे प्राप्त करें?
उत्तर. आप भारत सरकार की वेबसाइट पर जाकर सब्सिडी के लिए एप्लाय कर सकते हैं.